
बाबा कमलाहिया की कमाई, एसडीएम ऑफिस ने उड़ाई
ऐतिहासिक मंदिर के चढ़ावे के लाखों की जम कर हुई बंदरबांट
मंदिर कमेटी अध्यक्ष की मनमर्जी से लोगों की आस्था से खिलवाड़
ऐतिहासिक बाला कमलाहिया मंदिर की कमाई से एसडीएम ऑफिस सरकाघाट मजे कर रहा है। मंदिर को चढ़ावे के रूप में होने वाली कमाई से जहां एसडीएम कार्यालय ने सुविधाएं जुटाई जा रही हैं, वहीं दान में मिले हुए पैसे को मनमर्जी से आगे दान भी दिया जा रहा है। सरकाघाट में होने वाली सरकारी बैठकों का बोझ जहां बाबा कमालाहिया के सिर पर है तो उपमंडल पर होने वाले स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस का बीड़ा भी पिछले लंबे अर्से से बाबा ही संभाल रहे हैं। कहीं खेलों बाबा के बलबूते हो रही हैं तो कहीं बाबा के पैसों से सरकारी साहब अपने लिए बैडशीट खरीद रहे हैं। कभी बाबा वीआइर्पी की रिफ्रेशमेंट का खर्च उठाते हैं तो कभी, कभी एसएचओ को गाड़ी उपलब्ध करवाते हैं। मंदिर के चढ़ावे को नियमों के विपरीत फूंकने का यह गोरखधंधा पिछले एक दशक से जारी है। हालांकि इस ऐतिहासिक मंदिर की कमेटी भी बनाई गई है लेकिन चढ़ावे के पैसे को खर्च करने के लिए मंदिर कमेटी के अध्यक्ष को कमेटी की परमिशन की जरूरत ही नहीं पड़ती। मंदिर के पैसे की लूटखसूट कर लोगों की आस्था से हो रहे खिलवाड़ का सारा काला चि_ा उस वक्त सामने आया जब आरटीआई ब्यूरों के सदस्य एडवोकेट भूपेंद्र भरमौरिया ने सूचना अध्किार कानून के तहत मंदिर के चढ़ाबे और खर्चे का ब्यौरा मांगा। खुलासा हुआ कि बाबा के नाम पर अफसरों ने मंदिर की कमाई की लूट मचा रखी है। कमलाहिया मंदिर में हो रहे भ्रष्टाचार की शिकायत विजिलैंस विभाग के पास पहुंच गई है। करीब अढ़ाई लाख के इस घोटाले के आरेापियों के खिलाफ जांच की मांग की गई है। भंडाफोड़ होने के बाद अधिकारी जुबान खोलने से कतरा रहे हैं और ठीकरा पूर्व के मंदिर अधिकारियों के सिर फोड़ा जला रहा है।
दान का दान, महा कल्याण
चढ़ावे की राशि को दिल खोल बांटा जा रहा है। मंदिर के पैसे से एसडीएम ऑफिस ने करीब पचास हजार का फर्निचर खरीद डाला और यहां तक की एसडीएम के सरकारी आवास की बेडश्ीट्स तक मंदिर के पैसों के खरीदी गई। 2005 में बीस सूत्रीय कार्याक्रम के दौरान बड़े अफसरों की रिफे्रेशमेंट के लिए भी हजारों मंदिर के चढ़ावे से खर्च किए गए। 2006 में एक शव का पोस्टमोर्टम करने के लिए गाड़ी भेजी गई तो गाड़ी का किराया भी मंदिर के चढ़ावे से अदा किया गया। इसी साल एसएचओ सरकाघाट के लिए टैक्सी का खर्च भी मंदिर के चढ़ावे से गया। इसके अलावा भी कई ऐसी जगह मंदिर का चढ़ावा खर्च किया गया जो किसी भी साधारण आदमी के गले नहीं उतरता।
बाबा ने दिया कोल्ड का प्रसाद
बड़े अफसरों के ठाठ बाट पूरे करने के लिए भी मंदिर के चढ़ावे को उड़ाया जा रहा है। वर्ष 2009 में बड़े अफसरों को फ्रूट उपलब्ध करवाने के लिए चढ़ावे का पैसा खर्च किया गया। 2007 में भी करीब तीन हजार रूपये अफसरों को कोल्ड ड्रिक्स , कॉफी और बिस्कुट खिलाने के लिए उड़ा दिए । पिछले एक दशक में एउसडीएम ऑफिस सरकाघाट के अधिकारी चढ़ावे की दस हजार की राशि से चायऔर ठंडा ही पी गए।
बाबा की कृपा से मिला लैपटॉप
2007 में एसडीएम सरकाघाट पर बाबा की असीम कृपा बरसी। बाबा के चढ़ावे के 28000 से साबहब के लिए लैपटॉप की व्यवस्था हो गई। इसी साहब को देश दुनिया ेस ऑन लाईन रखने के लिए बाबा ने बॉयरलैस ब्रॉडबैंड का भी प्रबंध करवा दिया। बता दें कि 2001 में सरकाघाट एसडीएम ऑफिस में दस हजार का टाईप राइ्रटर भी बाबा की बदौलत आया था। इतना ही नहीं ऑफिस प्रिटिंग का खर्चा भी कई बार बाबा के ही सिर डाला गया।
बाबा कमलाहिया मंदिर के चढ़ावे को डकारने के लिए जम कर भ्रष्टाचार हो रहा है। निमयों को ताक पर रख कर मंदिर के चढ़ावे की बंदबांट की जा रही है। इस बारे में विजिलेंस से तत्थों सहित शिकायत कर जांच की मांग की गई है।एडवोकेट भूपेंद्र भरमौरिया, मंदिर में चल रहे भ्रष्टाचार को उजागर कर जिन्होंने विजिलैंस से जांच के लिए शिकायत की है।
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