Tuesday, August 31, 2010

है किसी में दम जो हिला सके अंगद के पांव

सरकाघाट एसडीएम ऑफिस में दशकों ने नहीं हुआ कोई तबादला
सरकार के तबादला नियमों को उड़ रहा है सरेआम मजाक
सियासी रसूख के चलते मारी कुंडली, आम लोगों के काम को नहीं तरजीह
यहां स्थिति बिल्कुल अंगद के पांव की तरह है। किसी में दम नहीं दिखता कि अंगद के पांव को हिला सके। बात मंडी के सरकाघाट स्थित एसडीएम ऑफिस की हो रही है। प्रदेश में सरकार आती हें जाती है, लेकिन सरकाघाट एसडीएम ऑफिस के स्टाफ पर सरकारों के आने जाने का कोई फर्क नहीं पड़ता, वर्ना कोई वजह नहीं दिखती कि दशकों से एक ही ऑफिस में जम कर यहां के अधिकारी कर्मचारी सरकार की तबादला नीति के मुंह पर तमाचा रसीद नहीं करते। यहां आलम यह है कि ऑफिस में मौजूद 17 कर्मचारियों में से 9 कर्मचारी यहां दशकों से यहां डेरा जमाए हुए हैं। कोई 26 साल से एक जगह तैनात है तो कोई 18 वर्षों से कुंडली मारे हुए बैठा है। यह भी कम हैरतअंगेज नहीं है कि यहां मौूजद कुछ कर्मचारियों की शिकायतें मुख्यमंत्री कार्यालय तक भी पहुंची हैं लेकिन सियासी रसूख के बलबूते यहां डटे कर्मचारियों का कोई बाल भी बांका नहीं हुआ। उलटा सरकाघाट एसडीएम ऑफिस के विवादों की सुर्खियां और बढऩे लगी है। सरकाघाट एसडीएम ऑफिस में कौन कर्मचारी कब से डटा हुआ है, इस बात का खुलासा तब हुआ जब एडवोकेट संतोष कुमार ने सूचना अधिकार कानून के तहत एसडीएम ऑफिस ने इस बारे में जानकारी हासिल की।
कौन कब से डटा
नाम पद समय
प्रकाश चंद जूनियर एसिस्टेंट 7 साल
कमलेश कुमार जूनियर एसिस्टेंट 11 साल
रोबू देवी जूनियर एसिस्टेंट 18 साल
सुनील कुमार जूनियर एसिस्टेंट 6 साल
नथू राम कानूनगो 9 साल
मलगर राम पियुन 26 साल
रोशन लाल पियुन 9 साल
बीना देवी पियुन 12 साल
प्रीतम चंद चौकीदार 14 साल
साहब पर भी विवाद
एक तरफ जहां एसडीएम ऑफिस सरकाघाट के कर्मचारियों को मिली तबादलों से छूट के चलते विवाद हे वहीं सरकाघाट के एसडीएम खुद विवादों में घिरे हुए हैं। भ्रष्टाचार के कई संगीन आरोपों को लेकर उनके खिलाफ सतर्कता विभाग तक शिकायतों का लंबा सिलसिला है। बीतें दिनों सरकाघाट में सरकारी दुकान आबंटन को लेकर भी वह विवादों का सामना कर चुके हैं। बाबा कमलाहिया मंदिर परिसर में हुई खुदाई के चलते मंदिर को हुए नुक्सान का विवाद भी उनके साथ जुड़ गया है। एडवोकेट संतोष कुमार का कहना है कि एसडीएम ऑफिस सरकाघाट से प्राप्त सूचना के अनुसार 17 कर्मचारियों में 9 कर्मचारी ऐसे हैं जो 26 साल से 18 साल तक के अंतराल में यहां डटे हुए हैं। ऐसे में सरकार की तबादला नीति क्या है, इसका अंदाजा खुद लगाया जा सकता है।

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